

सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी | The Golden Egg Story In Hindi
Golden Egg Story In Hindi : एक गाँव में एक गरीब किसान अपने पत्नि के साथ रहता था. दोनो पति-पत्नि दिन…

लोमड़ी और कौवा : बाल कथा | The Fox And The Crow Story For Kids In Hindi
एक लोमड़ी दो दिन से भूखी थी. वह भोजन की तलाश में जंगल में भटक रही थी. दिन भर भटकने के बाद भी उसे भोजन नसीब नहीं हुआ. वह थक कर चूर होकर एक पेड़ के नीचे सुस्ताने के लिए बैठ गई. जिस पेड़ के नीचे बैठकर वह सुस्ता रही थे, ठीक उसके सामने के पेड़ पर कुछ देर बाद एक कौवा आकर बैठ गया. उसके मुँह में रोटी का टुकड़ा था.

तीन गायें : बाल कथा | The Three Cows Story For Kids In Hindi
जंगल के किनारे स्थित एक चारागाह में तीन गायें रहती थी. तीनों भिन्न-भिन्न रंगों की थी : एक काली, एक सफ़ेद और एक भूरी. उनमें गाढ़ी मित्रता थी. तीनों दिनभर साथ रहती, साथ ही चारागाह में घास चरती और रात में एक-दूसरे के पास ही सोती थीं. एक दिन भूरे रंग का एक सिंह जंगल से भटकते हुए उस चारागाह के पास से गुजरा. वहाँ उसकी दृष्टि उन तीन गायों पर पड़ी. सिंह कई दिनों से भूखा था और शिकार की तलाश में भटक रहा था.

मुठ्ठी भर मेंढक : नैतिक कथा | Muththi Bhar Mendhak Moral Story In Hindi
बहुत समय पहले की बात है. एक गाँव में एक सज्जन और ईमानदार व्यक्ति रहता था. गाँव के सभी लोग उसकी बहुत प्रशंषा करते थे. सभी लोगों का प्रशंषापात्र होने के कारण वह बहुत प्रसन्न था. एक दिन की बात है. काम से लौटते हुए उसे अपने आगे कुछ दूरी पर चलते हुए लोगों की बातें सुनाई पड़ी. वे उसके बारे में ही बातें कर रहे थे. वह जानता था कि गाँव के लोग उसकी प्रशंषा के पुल बांधा करते है.

घमंडी बारहसिंघा : हिंदी बाल कथा | Ghamandi Barahsingha Story In Hindi
एक जंगल में एक बारहसिंघा रहता था. उसे अपने सुंदर बारह सींगों पर बड़ा घमंड था. जब भी वह पानी पीने नदी पर जाता, तो नदी के स्वच्छ और शांत जल में अपने सुंदर सींगों को देखकर बहुत खुश होता. किंतु अपने पतले और भद्दे पैरों को देखकर दु;खी हो जाता. वह हमेशा सोचता कि भगवान ने उसे सींग तो बड़े सुंदर दिए हैं, लेकिन पैर बहुत ही भद्दे. ऐसे पैर किस काम के?

मेंढक और बैल : बाल कथा | The Frog And The Ox Story For Kids In Hindi
जंगल के बीचों-बीच एक नदी बहती थी. उस नदी के किनारे एक मेंढक अपने तीन बच्चों के साथ रहता था. वे सभी खाते-पीते बाहरी दुनिया से अलग बड़े ही आराम की जिंदगी गुज़ार रहे थे. खा-पीकर मेंढक ने अच्छी सेहत बना ली थी. उसे देखकर उसके बच्चों को लगता कि दुनिया में उनके पिता जैसा विशाल और शक्तिशाली दूसरा कोई नहीं है. मेंढक को भी इस बात का अहंकार था.