

सुख प्राप्ति का मार्ग चाणक्य प्रेरक प्रसंग | Sukh Prapti Ka Marg Chanakya Prerak Prasang
यह वृत्तांत उस समय का है, अब चन्द्रगुप्त मौर्य ने भारत को साम्राज्य के रूप में संगठित कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की. राज्याभिषेक के पूर्व चाणक्य उनके पास पहुँचे और उनसे पूछा, , “ये मैं क्या सुन रहा हूँ चन्द्रगुप्त, तुम मगध का सम्राट नहीं बनना चाहते हो?”

दूसरा दीपक चाणक्य का प्रेरक प्रसंग | Doosra Deepak Chanakya Prerak Prasang
चाणक्य नीति-शास्त्र के लिए प्रसिद्ध थे. उनका गुणगान सुनकर एक दिन एक चीनी दार्शनिक उनसे मिलने आया. जब वह चाणक्य के घर पहुँचा, तब तक अँधेरा हो चुका था. घर में प्रवेश करते समय उसने देखा कि तेल से दीप्यमान एक दीपक के प्रकाश में चाणक्य कोई ग्रन्थ लिखने में व्यस्त है. चाणक्य की दृष्टि जब आगंतुक पर पड़ी, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए उसका स्वागत किया और उसे अंदर विराजमान होने को कहा. फिर शीघ्रता से अपना लेखन कार्य समाप्त कर उन्होंने उस दीपक को बुझा दिया, जिसके प्रकाश में वे आगंतुक के आगमन तक कार्य कर रहे थे.